मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

पौष- शीत- सौंदर्य [ कुण्डलिया ]


ठंडा    मौसम    पौष  का,
शीतल      बहे       बयार।
हिम    हेमंती      हुलसता,
हिए       हूल        हुंकार।।
हिए       हूल         हुंकार,
हिमाचल  की    है  माया ।
सूरज        देव      विलीन ,
बादलों     की  है  छाया ।।
'शुभम'     कोहरा     कोप ,
शीत      ने   गाड़ा     झंडा।
थर  -    थर     काँपें    जीव,
पौष  का   मौसम  ठंडा।।1।।

तानी   चादर     दूध -   सी,
दृश्य     नहीं    चहुँ    ओर।
भू      से   अम्बर    छा  रही,
श्वेत      धूम       में   भोर।।
श्वेत      धूम      में     भोर,
निकट  निज    राह  न  सूझे।
सन्नाटा          हर        ओर,
किसी   को     कैसे    बूझे।।
पल्लव      जमा       तुषार ,
न  दिखतीं   फसलें   धानी।
'शुभम'        प्रबलतम    शीत,
दूध   - सी   चादर तानी।।2।।


ओढ़ि   रजाई    नारि -  नर ,
करें      शीत    -    उपचार।
कोई       तापें      आग   को,
अगियाने          दो -  चार।।
अगियाने         दो  -    चार,
तापते        कोई       हीटर।
बिजली  का    बिल    भार,
दौड़ता   सर - सर    मीटर।।
'शुभम '  गरम    ही    खाद्य ,
किसी  को  ग़ज़क     सुहाई।
मूँगफली       का       स्वाद ,
ले  रहे   ओढ़ि    रजाई।।3।।

मुर्गा    -    मुर्गी        खेलते ,
लगा      कुकड़ - कूँ      टेर।
उठो  कहाँ    तुम     सो  रहे ,
जगने     में      क्यों      देर।।
जगने      में      क्यों       देर,
भानु     ऊपर     चढ़  आया।
कलरव        करते       कीर,
समा     कैसा      मनभाया!!
'शुभम'    शांत     वन - मोर ,
अशीषें        देवी        दुर्गा।
तैरें          सर        जलमुर्ग,
कूदते       मुर्गी  -  मुर्गा।।4।।

सरिता     के   तट      जाइए,
होता         कलकल     नाद।
श्वेत     भाप     ऊपर   तनी,
करती        ज्यों       संवाद।।
करती        ज्यों        संवाद,
नहाते        बहु        सन्यासी। 
प्राची       दिशि     में    भानु,
त्यागते      निशा  -  उदासी।।
'शुभम '      सिंधु       संयोग,
बह      रही   है   जलभरिता।
अपने        शुभ         गंतव्य ,
मिलन  को बहती सरिता।।5।

💐 शुभमस्तु  !
✍रचयिता ©
☘ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

17.12.2019◆8.00अपराह्न।
www.hinddhanush.blogspot.in

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