ठंडा मौसम पौष का,
शीतल बहे बयार।
हिम हेमंती हुलसता,
हिए हूल हुंकार।।
हिए हूल हुंकार,
हिमाचल की है माया ।
सूरज देव विलीन ,
बादलों की है छाया ।।
'शुभम' कोहरा कोप ,
शीत ने गाड़ा झंडा।
थर - थर काँपें जीव,
पौष का मौसम ठंडा।।1।।
तानी चादर दूध - सी,
दृश्य नहीं चहुँ ओर।
भू से अम्बर छा रही,
श्वेत धूम में भोर।।
श्वेत धूम में भोर,
निकट निज राह न सूझे।
सन्नाटा हर ओर,
किसी को कैसे बूझे।।
पल्लव जमा तुषार ,
न दिखतीं फसलें धानी।
'शुभम' प्रबलतम शीत,
दूध - सी चादर तानी।।2।।
ओढ़ि रजाई नारि - नर ,
करें शीत - उपचार।
कोई तापें आग को,
अगियाने दो - चार।।
अगियाने दो - चार,
तापते कोई हीटर।
बिजली का बिल भार,
दौड़ता सर - सर मीटर।।
'शुभम ' गरम ही खाद्य ,
किसी को ग़ज़क सुहाई।
मूँगफली का स्वाद ,
ले रहे ओढ़ि रजाई।।3।।
मुर्गा - मुर्गी खेलते ,
लगा कुकड़ - कूँ टेर।
उठो कहाँ तुम सो रहे ,
जगने में क्यों देर।।
जगने में क्यों देर,
भानु ऊपर चढ़ आया।
कलरव करते कीर,
समा कैसा मनभाया!!
'शुभम' शांत वन - मोर ,
अशीषें देवी दुर्गा।
तैरें सर जलमुर्ग,
कूदते मुर्गी - मुर्गा।।4।।
सरिता के तट जाइए,
होता कलकल नाद।
श्वेत भाप ऊपर तनी,
करती ज्यों संवाद।।
करती ज्यों संवाद,
नहाते बहु सन्यासी।
प्राची दिशि में भानु,
त्यागते निशा - उदासी।।
'शुभम ' सिंधु संयोग,
बह रही है जलभरिता।
अपने शुभ गंतव्य ,
मिलन को बहती सरिता।।5।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
☘ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
17.12.2019◆8.00अपराह्न।
www.hinddhanush.blogspot.in
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