सोमवार, 30 दिसंबर 2019

हम सबकी भारत माता है [ गीत ]


 गंगा -   यमुना ,सरयू गातीं,
हिमगिरि    ध्वज फहराता है।
सागर     पाँव पखारे अनुदिन,
हम  सबकी  भारत  माता है।।

ये       हिंदी ,    उर्दू,   पंजाबी,
बहुभाषी        मम     देश   है। 
 धोती ,     साड़ी,  सलवारों का,
न्यारा   -  न्यारा      वेश   है।।
क्यों   कोई इन्सां  के दिल  में,
अंधी       आग    लगाता    है।
सागर  पाँव    पखारे अनुदिन,
हम   सबकी  भारत माता है।।

सड़कें  जलीं , सुलगतीं गलियाँ,
अंगारों          की      आँधी   है।
चूल्हे   बुझे  बिलखतीं  विधवा ,
क्या     यही  आज  के गांधी हैं!!
मानवता     मर  गई    दिलों से,
सिर    शर्मसार   हो    जाता है।
सागर     पाँव   पखारे अनुदिन,
हम    सबकी  भारत   माता है।

नेताओं      को     वोट चाहिए,
जिनके    घड़ियाली   आँसू  हैं।
कान  भर   रहे  घर -घर जाकर,
भाषण      विषमय    धाँसू हैं।।
भोले    जन -  जनता   में नेता ,
चिनगारी            सुलगाता   है।
सागर     पाँव    पखारे  अनुदिन,
हम     सबकी    भारत  माता है।

जनहित    में   कानून   देश के,
उनसे           कैसा    घबराना।
मानवता       को    भूल विषैले ,
  उद्गारों            पर      इतराना।।
शांति  राह  तज भ्रांति पकड़ना,
नहीं    समझ    में     आता  है।
सागर    पाँव   पखारे  अनुदिन,
हम  सबकी   भारत  माता  है।।

फैलाकर       आतंक       देश में,
देश          नहीं      बढ़ता   कोई।
सुदृढ़       संगठन    और एकता ,
बिना       नहीं      चढ़ता  कोई।।
हिंसा     से    धरती    माता का ,
ये   सिर    झुक -  झुक जाता है।
सागर      पाँव   पखारे  अनुदिन,
हम     सबकी    भारत माता है।

आस्तीन      के    साँपों  से नित,
सावधान            रहना     होगा।
मसल फनों  को  घिस पाहन पर,
तुरत     कुचलना       ही  होगा।।
टुकड़े    की  ख़ातिर  क्यों कूकर,
'शुभम '       आज     गुर्राता  है?
सागर     पाँव   पखारे अनुदिन,
हम       सबकी   भारत माता है।।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

29.12.2019●2.30 अपराह्न।

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