🔆1🔆
स्वागत है नव वर्ष का,
गाएँ मंगल गीत।
स्वस्थ सुखी सानन्द हों,
जीवन परम पुनीत।।
जीवन परम पुनीत,
मिटे दुःखों की छाया।
करें प्रदूषण दूर ,
रहे जन - मन हरषाया।
'शुभम ' बनें जलमीत,
करें अभिनंदन आगत ।
होगा सबका त्राण,
करें सब मिलजुल स्वागत।।
🔆2🔆
नया हर्ष उत्कर्ष ले,
कर आए नववर्ष।
सुबह सुहानी सुखद हो,
संध्या सह आदर्श।।
संध्या सह आदर्श,
दिवस निशि बंधुभाव में।
मानव हो खुशहाल,
बंधुता की सु छाँव में।।
'शुभम' सदय संजाल,
साल उन्नीस भी गया।
दो हजार सन बीस ,
सभी के लिए है नया।।
🔆3🔆
🔆3🔆
नेता अपने अर्थ की,
रहे रोटियाँ सेंक।
जनहित उन्हें न दीखता,
उलटे काम अनेक।
उलटे काम अनेक,
मतों के भूखे - प्यासे।
नैतिकता से दूर ,
दे रहे झूठे झाँसे।।
'शुभम ' देश बरवाद,
नहीं क्यों नेता चेता!
दुष्कर्मों में लीन,
देश के ओछे नेता।।
🔆4🔆
पहले अपना देश है ,
पीछे अपना गेह ।
जनता नेता के लिए,
देश माँगता नेह।।
देश माँगता नेह ,
मिलेगी तन - धन रक्षा।
रहे शांति सौहार्द्र,
यही पहली जनशिक्षा।।
'शुभम ' श्रेष्ठ यह ज्ञान,
खोज मत नहले -दहले।
तज मज़हब की बान,
देश है सबसे पहले।।
🔆5🔆
🔆5🔆
स्वागत कर नववर्ष का,
सबके हित की सोच।
हिंसा अशुभ अशांति से,
मत कर खुद को पोच।।
मत कर खुद को पोच,
न लाया कुछ ले पाए!
आया मुट्ठी बाँध,
पसारे कर तू जाए।।
'शुभम ' मूढ़ता त्याग,
विदाकर मत अपना सत।
दो हज़ार सन बीस ,
हृदय से कर ले स्वागत।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🔆 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
28.12.2019 ◆11.55 पूर्वाह्न।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें