मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

ग़ज़ल



खुदगरजों   से   आस  नहीं।
कलिका मुँदी  सुवास  नहीं।।

काले   मन  जिन   लोगों के,
उनमें   कहीं   उजास   नहीं।

नहीं    मयस्सर     दो   रोटी,
उनके   उदर    प्यास   नहीं।

अपना  उल्लू    हो    सीधा ,
उनको  कोई    खास  नहीं।

पेट्रोल      से     चलते     हैं,
घोड़ों  को  जब    घास नहीं।

च्यवनप्राश    कैसे    खा लें,
तन  पर  जिनके माँस नहीं।

'शुभम'    सत्य  ये   कहता है,
करता    कोई     हास    नहीं।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🏕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

18.12.2019◆10.25अपराह्न।

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