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मुझको कहते गन्ना, ईख।
मीठेपन की देता सीख।।
मुझको कृषक खेत में बोता।
तब मैं मीठा पैदा होता।।
नहीं माँगता मीठी भीख।
मुझको कहते गन्ना, ईख।।
गुड़, शक्कर , बूरा या चीनी।
राब, खांड़,मिश्री रसभीनी।।
मुझसे ही बनती ये चीज।
मुझको कहते गन्ना, ईख।।
रबड़ी, पेड़ा, लस्सी बनती।
मधुर जलेबी रस से सनती।।
अधिक खुशी से निकले चीख
मुझको कहते गन्ना , ईख।।
गुड़ मेरा गुणकारी होता।
मैं मिठास का सुंदर सोता।।
मीठा बोलो देता सीख।
मुझको कहते गन्ना, ईख।।
अतिथि द्वार पर आए कोई।
मीठे से घर स्वागत होई।।
'शुभम' ईख की मीठी लीक।
मुझको कहते गन्ना , ईख।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🎋 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
30.12.2019●7.45अपराह्न।
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