चारों ओर खड़े हैं दुश्मन,
चलो, एक हम सब होजाएँ।
आस्तीन में साँप पले जो,
उनसे सावधान हो जाएँ।।
गंगा - यमुना की धरती पर,
खून - खराबा क्यों होता है?
सबका प्रहरी उच्च हिमालय,
नौ - नौ आँसू क्यों रोता है??
देश - धर्म की रक्षा के हित,
चलोआज हम बलि बलि जाएँ।
चारों ओर खड़े हैं दुश्मन,
चलो , एक हम सब हो जाएँ।।
जातिवाद की दीवारों को ,
तोड़ हमें आगे आना है।
ऊँच - नीच या वर्णवाद से,
ऊपर ही उठते जाना है।।
मैं बाँभन तू पिछड़ा छोटा ,
छोड़ भाव सब घुलमिल जाएँ।
चारों ओर खड़े हैं दुश्मन,
चलो, एक हम सब हो जाएँ।।
राजनीति की रोटी सेंकें ,
उनसे सावधान रहना है।
उन्हें चाहिए ऊँचा आसन,
नहीं भावना में बहना है।।
रहना हमको संग -साथ ही ,
हम गुलाब-से खिल - खिल जाएँ।
चारों ओर खड़े हैं दुश्मन,
चलो, एक हम स ब हो जाएँ।।
उधर पाक नापाक खड़ा है ,
उत्तर में बेशर्म चीन है।
लूटपाट झटके के हामी,
जिनका कोई नहीं दीन है।।
बंधु - बंधु आपस में लड़कर,
क्यों निर्बल अस्तित्व बनाएं?
चारों ओर खड़े हैं दुश्मन,
चलो, एक हम सब हो जाएँ।।
बाजों के पंजे में पलकर ,
नहीं सुरक्षित पंछी कोई।
बहकावे में आने वालो!
पीछे है नरभक्षी कोई ।।
शुभम' शांति संदेश प्रसारें,
सबल बनें चेतना जगाएँ।
चारों ओर खड़े हैं दुश्मन ,
चलो, एक हम सब हो जाएँ।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
25.12.2019◆11.45 पूर्वाह्न ।
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