बुधवार, 25 दिसंबर 2019

चलो,एक हम सब हो जाएँ [ चेतना -गीत ]


चारों         ओर  खड़े  हैं दुश्मन,
चलो,      एक हम सब होजाएँ।
आस्तीन      में  साँप पले  जो,
उनसे      सावधान  हो  जाएँ।।

गंगा -      यमुना  की  धरती पर,
खून -    खराबा   क्यों  होता है?
सबका     प्रहरी उच्च हिमालय,
नौ -   नौ   आँसू  क्यों रोता है??
देश - धर्म     की रक्षा  के  हित,
चलोआज हम बलि बलि जाएँ।
चारों      ओर   खड़े  हैं  दुश्मन,
चलो ,  एक हम सब हो जाएँ।।

जातिवाद       की   दीवारों को ,
तोड़       हमें   आगे  आना  है।
ऊँच -      नीच    या वर्णवाद से,
ऊपर     ही     उठते  जाना  है।।
मैं   बाँभन      तू  पिछड़ा छोटा ,
छोड़     भाव सब घुलमिल जाएँ।
चारों   ओर     खड़े    हैं  दुश्मन,
 चलो,     एक हम सब हो जाएँ।।

राजनीति        की     रोटी   सेंकें ,
उनसे        सावधान    रहना  है।
उन्हें         चाहिए  ऊँचा  आसन,
नहीं       भावना    में    बहना   है।।
रहना         हमको   संग -साथ ही ,
हम   गुलाब-से खिल - खिल जाएँ।
चारों       ओर       खड़े   हैं  दुश्मन,
चलो,   एक     हम स  ब हो जाएँ।।

उधर       पाक        नापाक खड़ा है ,
उत्तर        में    बेशर्म     चीन है।
लूटपाट          झटके      के  हामी,
जिनका       कोई   नहीं   दीन है।।
बंधु  - बंधु      आपस में लड़कर,
क्यों     निर्बल    अस्तित्व बनाएं?
चारों       ओर     खड़े     हैं  दुश्मन,
चलो,    एक     हम   सब   हो जाएँ।।

बाजों       के     पंजे    में पलकर ,
नहीं          सुरक्षित    पंछी   कोई।
बहकावे         में      आने  वालो!
पीछे     है       नरभक्षी      कोई ।।
शुभम'     शांति   संदेश      प्रसारें,
सबल       बनें      चेतना   जगाएँ।
चारों       ओर        खड़े  हैं  दुश्मन ,
चलो,   एक   हम   सब    हो जाएँ।।

💐 शुभमस्तु  !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

25.12.2019◆11.45 पूर्वाह्न ।

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