कुत्ता भौंका एक जब ,
हुआ गली में शोर।
भौं भौं भौं मचने लगी,
हुई भयावह भोर।।
हुई भयावह भोर,
सभी क्यों भौंक रहे हैं।
अनजाने , की राह ,
कुकर क्यों रोक रहे हैं।।
'शुभम ' न तुलसी - कुंज,
उग रहे कूकरमुत्ता।
भौंके कुत्ते खूब,
प्रथम जब भौंका कुत्ता।।1।
चाटा जिसने रक्त ही,
उसे रक्त की चाह।
यही धर्म की शान है ,
होकर बेपरवाह??
होकर बेपरवाह,
हृदय से दया बिसारी।
मानवता का त्याग,
भले हो अपनी ख्वारी।।
'शुभम' सुलगती आग ,
दनुज ने मानव काटा !
लगी लहू की चाट,
साँप ने लोहू चाटा।।2।
देश - संपदा दहन कर,
जो रहता इस देश।
नहीं नागरिक देश का,
जन्मा ज्यों पशु - वेश।।
जन्मा ज्यों पशु - वेश ,
न मानव ही कहलाता।
रक्त - पिपासा शेष ,
हिंस्र पशु ही बन जाता।।
'शुभम ' देह नर रूप,
आम जन की वह विपदा।
कीड़ा क्लीव कपूत ,
न जाने देश - संपदा ।।3।
पले सपोले डस रहे ,
इनसे रहो सचेत।
खाते - पीते देश का,
नहीं देश से हेत।।
नहीं देश से हेत,
छेद पात्रों में करते।
खाते हैं जिस पात्र,
दूसरों के हित मरते।।
'शुभम ' ले रहे स्वाद,
सदा रस में विष घोले।
त्याग मनुज का रूप,
बाँह में पले सपोले।।4।
देश हमारा धर्म है ,
देश हमारा कर्म।
अन्न दूध फल देश के,
देश हमारा मर्म।।
देश हमारा मर्म,
यही अस्तित्व हमारा।
पोषक सदा सुनीति,
विमल सुरसरिता धारा।
'शुभम ' सुदृढ़ क़ानून,
है नहीं पक्ष लवलेश।
राम कृष्ण की भूमि,
यह प्यारा भारत देश।।5।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
22.12.2019■3.30 अपराह्न।
www.hinddhanush.blogspot.in
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