90/2023
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✍️ शब्दकार ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मारेंगे भर-भर रँग - धारी।
हाथों में लेकर पिचकारी।।
फागुन में होली का डंका,
खेलें सब बालक, नर , नारी।
ऋतुओं के राजा आएंगे,
खिलने लगीं फूल की क्यारी।
पीले पत्ते पेड़ गिराते,
पतझड़ होता है नित जारी।
रँग- गुलाल से हम खेलेंगे,
नाचें - कूदें दे - दे तारी।
एक म्यान में सहज रहें कब,
सास बहू की दो -दो आरी।
भाभी कहती देवर आओ,
हम छोटे तुम भाभी भारी।
🪴शुभमस्तु !
27.02.2023◆2.30आ.मा
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