शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

मारेंगे भरके पिचकारी 🧨 [ बालगीत ]

 86/2023

 

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✍️ शब्दकार ©

🧨 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मारेंगे    भरके     रँग -  धारी।

हाथों  में  लेकर   पिचकारी।।


फागुन   ने   है   पीटा  डंका।

होली आई  क्या  अब शंका।।

खेलें सब बालक, नर , नारी।

मारेंगे   भरके     रँग -धारी।।


ऋतुओं   के   राजा    आएंगे।

बेल , पेड़    सब     हर्शायेंगे।।

खिलने लगीं फूल की  क्यारी। 

मारेंगे     भरके     रँग-धारी।।


पीले  पत्ते       पेड़     गिराते।

उड़-उड़ कर धरती पर जाते।

पतझड़ होता है  नित  तारी।

मारेंगे     भरके    रँग- धारी।।


रँग- गुलाल  से  हम   खेलेंगे।

अम्मा   से   पैसे   ले    लेंगे।।

नाचें -  कूदें      दे - दे   तारी।

मारेंगे     भरके   रँग -धारी।।


भाभी   कहती  देवर  आओ।

खेलो रँग तुम क्यों शरमाओ।

हम छोटे  तुम   भाभी  भारी।

मारेंगे    भरके     रँग -धारी।।


🪴शुभमस्तु !


24.02.2023◆4.30प.मा.

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