88/2023
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✍️ लेखक
🪷भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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यह घटना अब से लगभग 38-39 वर्ष पहले की है।मैं हिंदी प्रवक्ता पद पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बीसलपुर(पीलीभीत)से स्थानांतरित होकर जिला एटा के एक राजकीय महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर चुका था।कार्यभार ग्रहण किए हुए एक दो वर्ष हुए होंगे कि जिस मकान में किराए पर रह रहा था,उसी मकान के दूसरे कमरे में रह रहे एक किराएदार से मेरी पत्नी के साथ बच्चों की किसी बात पर कुछ विवाद हो गया। तो वह किराएदार रंजिश मानने लगा।मेरे मन में उसके प्रति कोई दुर्भाव भी नहीं था। बात आई गई हो गई।
जुलाई का महीना था।ग्रीष्मावकाश के बाद कालेज खुल चुके थे।छात्र -छात्राओं के प्रवेश चल रहे थे।एक बड़े से शिक्षण कक्ष में प्रवेश साक्षात्कार हो रहे थे। प्रवेशार्थियों और उनके अभिभावकों से घिरा हुआ मैं साक्षात्कार में व्यस्त था।
किसी अभिभावक या विद्यार्थी को मैं नहीं जानता पहचानता था। एक 25-30 वर्ष का लड़का कक्ष के द्वार पर खड़ा हुआ बहुत देर से देख रहा था। उसके काले रंग की एक -डेढ़ इंच की दाढ़ी थी। पता नहीं किस रंग की टीशर्ट औऱ जींस पहने हुए था।देखने में उसका रँग - रूप किसी गुंडे जैसा ही था। मुझे नहीं पता था कि वह कौन है औऱ किस उद्देश्य से वहाँ आया हुआ है।जैसे अन्य अभिभावक आ जा रहे थे ,वैसा ही मुझे वह भी लगा। बहुत देर तक खड़ा रहने के बाद वह मेरे पास आया औऱ ये कहकर मुझे कक्ष के बाहर बरामदे में ले गया कि कुछ जरूरी बात करनी है। मैंने समझा किसी के प्रवेश की सिफारिश की बात होगी। मैं उसके साथ बड़े ही सामान्य ढंग से बाहर चला गया ।
मुझे इस बात का अनुमान भी नहीं था ,कि उसकी मंशा क्या है? वह कहने लगा :'अमुक व्यक्ति ने ,जो आपके बराबर वाले कमरे में किराए पर रहता है; उसने मुझे आपको मारने के लिए भेजा है।' उसकी बात सुनकर मैं चौंका औऱ पूछा कि ऐसा क्यों?'मुझे पिछली किराएदार से विवाद की बात का कोई ध्यान भी नहीं था।वह आगे बोला:'मैं बहुत देर से आपको देख रहा था।आप तो बहुत अच्छे आदमी हैं। सबका सहयोग कर रहे हैं। सबका काम कर रहे हैं। अब मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा। वही खराब इंसान है ,जिसने गलत काम के लिए मुझे आपके पास भेजा है।'
इसके बाद वह अपना परिचय देकर वापस चला गया। मुझे लगा कि मुझसे परिचय औऱ बातचीत से वह प्रभावित हुआ और उसका निर्णय बदल गया। उस हिंसक का हृदय परिवर्तन हो चुका था। वह आया तो था ;मेरी हिंसा करने , मुझसे मिलकर तथा मेरा आचरण और व्यवहार देखकर वह द्रवित हो चुका था। अब उसने मेरी हिंसा का विचार बदल लिया था और उलटे पाँव वापस हो गया था।
🪴 शुभमस्तु !
25.02.2023◆11.00प.मा.
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