82/2023
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✍️ शब्दकार ©
🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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'सत्य मेव जयते' 'शुभम्',यही हमारा मंत्र।
बना रहा है देश को,जन-जन प्रिय गणतंत्र।
सत्य तिरोहित हो भले,ज्यों मेघों में अर्क।
वही रूप है ईश का,चले न कोई तर्क।।
सत्य शिवं सुंदर 'शुभम्',करता जन कल्याण
रक्षक सत पथ का सदा,बनता स्वयं प्रमाण।
सत्य कभी मरता नहीं,नित्य बदलता रूप।
ज्यों सूरज की ज्योति में,बल के हैं बहु यूप।
सत्य बसा कवि-भाव में,देता कविताकार।
शब्द, अर्थ, रस, छंद से,लाता काव्य निखार।
सत्य रहे उर में सदा, किंचित रहे असत्य।
तमस सदा टिकता नहीं,जिसके क्रूर अपत्य।
ईश्वर का पर्याय ही,सत्य सदा से मौन।
नित असत्य हल्ला करे,उसे न जाने कौन??
सत्य सदा ही बोलिए,प्रियता दे उर कान।
असत करेला नीम-सा, छीने शांति महान।।
सत्य बिना चलता नहीं,जगती का आचार।
धरा टिकी है साँच पर,बहे त्रिपथगा-धार।।
सतयुग त्रेता चार युग,द्वापर कलि का रूप।
निर्भर सत्याधार में,सत्य सदा युग-भूप।।
विरत न होना सत्य से,जन -जीवन-आधार।
सुघर रूप में ढालता, दे मानव - आकार।।
🪴 शुभमस्तु !
22.02.2023◆8.45आ.मा.
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