शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

गरम रजाई 🌻 [बालगीत ]

 87/2023

 

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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चली   गई   अब  गरम रजाई।

एक वर्ष   को   हुई   विदाई।।


शरद ,शिशिर,  हेमंत नहीं  है।

नहीं शीत का काम कहीं  है।।

हलकी - हलकी   गर्मी  आई।

चली  गई अब गरम  रजाई।।


नहीं  आग  पर   कोई   तापे।

थर-थर कर कोई क्यों काँपे?

शेष नहीं  तन की   ठिठुराई।

चली  गई अब गरम  रजाई।।


देखो   फागुन   मास सुहाया।

जीव-जंतु सबके  मन भाया।।

सब कहते होली   अब आई।

चली गई   अब गरम  रजाई।।


पीपल, नीम   पुनः  हरियाये।

पहले   पीले   पात   गिराए।।

ठंडी   हवा   चली  पछुआई।

 चली  गई  अब गरम रजाई।।


लाल गुलाबी  महकी क्यारी।

नीली अलसी  पाटल  भारी।।

'शुभम्'  वसंती  सरसों छाई।

चली गई अब गरम   रजाई।।


🪴शुभमस्तु !


23.02.2023◆6.30 प.मा.

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