474/2023
[करवा चौथ, चाँद,व्रत,सुहाग,दीर्घायु]
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● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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● सब में एक ●
व्रत है करवा चौथ का,पत्नी के उर साध।
बढ़े आयु पति की सदा,जीवन हो निर्बाध।।
दिन ये करवा चौथ का, आए बारंबार।
स्वस्थ सुखी नीरोग हो,पति ही प्रभु अवतार।।
उदयाचल पर चाँद को ,सधवा रही निहार।
हिय में पति-सुख कामना,आयु बढ़े निशि वार।
नित पूनम के चाँद-सी,बढ़े कन्त की आयु।
यश-सूरज अनुदिन चढ़े,ज्यों मलयागिरि वायु।
जीवन को व्रत जानिए,संयम नियम विचार।
चलता जो सत राह में,कभी न होती हार।।
व्रत में भोग विलास की,राह नहीं है ठीक।
चलिए ज्यों वैराग्य में,बने चरित की लीक।।
एक सुहागिन नारि को,पति ही सुदृढ़ सुहाग।
गिरने में क्षण भी नहीं,लगता फूटे भाग।।
बाला तरु की पौध है,पतिगृह मानो खेत।
वह सुहाग- सिंदूर भी,भरे माँग प्रिय हेत।।
सधवा करवा चौथ को,रख निर्जल उपवास।
करती मंगल कामना, दीर्घायु तिय - श्वास।।
नहीं किसी के हाथ में,जीवन का यह खेल।
दीर्घायु उसको मिले, सत्कर्मों का मेल।।
● एक में सब ●
व्रत ये करवा चौथ का,दर्शन दे अब चाँद।
पति - सुहाग दीर्घायु हो,रहे न बैठा माँद।।
●शुभमस्तु !
31.10.2023◆ 11.15 प०मा०
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