1
गाली देकर कह रहे,
उन्हें सभी अधिकार।
चाहे जिस पर वे करें,
गाली की बौछार।।
गाली की बौछार,
रात - दिन गाली देते।
बदले में गाली के ,
मित्रो गाली लेते।।
'शुभम' श्रवण की चाह,
न बोलो भद्दी वाली ।
जो तुमको चुभ जाए,
वही है कड़वी गाली।।
2
गाली देना गीत है,
जो गाते दिन -रात?
बिना गलियों के नहीं,
निकले मुख से बात।।
निकले मुख से बात,
गरेबाँ अपना झाँको।
नंगे सभी हमाम,
न उनके घर में ताको।।
'शुभम'पूछता औरों पर,
पीटो तुम ताली।
शब्द - शब्द में मित्रो,
उनके केवल गाली।।
3
गाली की ये सभ्यता,
तुमसे ही आरम्भ।
गाली -गढ़ के गिलगिले,
सुदृढ़ चीकने खम्भ।।
सुदृढ़ चीकने खम्भ,
जीभ में बड़ा लोच है।
तुम क्या समझो मित्रो,
अगला बहुत पोच है?
जैसे को तैसा मिले,
जो फेंको पत्थर नाली।
कीचड़ उछले आप,
मिलेगी बदले गाली।।
4
गाली गा लीं बहुत अब,
गा लो अच्छे गीत।
बेटे की शादी नहीं ,
(जो) गाली गाओ मीत।।
गाली गाओ मीत,
नहीं ज्यौनार ब्याह का।
जनता का है देश,
न तेरी दिली चाह का।
हथकंडे बेकार,न कर,
अब बातें जाली।
महोपाधि ली 'शुभम',
स्वार्थहित उगले गाली।।
5
गाली के कॉलेज से,
लेकर चले उपाधि।
गाली की नदियाँ बहीं,
कल कल छोड़ीं साधि।।
कल कल छोड़ीं साधि,
भले कोई बह जाए।
अपना उल्लू सधे,
चाह मन की रह जाए।।
टीवी सब अख़बार ,
बजबजाती हैं नाली।
नेताओं के गोमुख से ,
बस निकले गाली।।
💐 शुभमस्तु!
✍ रचयिता ©
♐ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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