मंगलवार, 21 मई 2019

भोली गिलहरी [बाल गीत ]

भोली-भाली सरल गिलहरी।
लम्बी गोरी  चपल  छरहरी।।

झबरी  पूँछ  पीठ   पर  धारी।
दौड़ लगाती आँगन  क्यारी।।
बैठ    टूङ्गती    नन्हें     दाने।
छू लो  तो   लगती  शरमाने।।
खेले    प्रातः   साँझ  दुपहरी।
भोली -भाली ....

रोज़    खेलने  आ  जाती है।
रोटी कुतर - कुतर खाती है।।
अमिया लाल टमाटर  खाती।
साथ  सहेली भी ले  आती।।
खाती दलिया चावल तहरी।
भोली -भाली ....

पेड़ों    पर   घोंसले   बनाती।
लताकुंज  में  दौड़   लगाती।।
छोटे   बच्चे      गिरते   नीचे।
ले जाती   अपने   मुँह भींचे।।
जागरूक   माँ  सच्ची  प्रहरी।
भोली -भाली ....

मेरे    घर   के   चार   झरोखे।
जिनको  कहते हैं हम मोखे।।
सन सुतली रेशे  नित लाकर।
नीड़  बनाती  खूब सजाकर।।
नींद   वहीं   लेती  है  गहरी।
भोली -भाली ....

शिशुओं को वह दूध पिलाती।
पलभर को भी नहीं रुलाती।।
सिखा  रही   टूङ्गों  तुम दाने ।
जल्दी हो  लो   सभी सयाने।।
लाड़ लड़ाती 'शुभम' फुरहरी।
भोली -भाली ....

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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