1
गाली निकली गाल से,
खटकी दो -दो कान।
खट्टी - मीठी भी नहीं ,
तीखी मिर्च समान।।
तीखी मिर्च समान ,
जीभ ने आँखें खोलीं।
गोली - सी लग जाय,
ऐंठकर यों कुछ बोली।
शुभ-शुभ बोलो 'शुभम',
फेंक मत बालू थाली।
बहुत बुरा हो जाय,
अगर फिर दोगे गाली।।
2
गाली पीना सीख लो,
जो चाहो कल्याण।
हेलमेट रख कान पर,
करो शीश का त्राण।।
करो शीश का त्राण,
बोल कड़वे मत बोलो।
जहाँ प्रेम रस धार ,
कभी विषरस मत घोलो।।
कुर्सी की है भूख जो,
मत लुढ़काओ थाली।
खीस न जाएगी 'शुभम',
बहुत पड़ेंगीं गाली।।
3
गाली, जूता , मार से,
जो नेता है सिद्ध।
जेल-वायु रुचती जिसे,
उसे न कहिए गिद्ध।।
उसे न कहिए गिद्ध,
जीवितों को जो खाता।
मानव की औलाद ,
ज़ुल्म मानव पर ढाता।।
एक जाम से पीयें,
एक ही खाते थाली।
आम बात है नेताजी का,
खाना गाली।।
4
गाली देने की कला ,
नेताओं से सीख।
पहले बन चमचा चतुर,
जोर - जोर से चीख ।।
जोर - जोर से चीख,
प्रशिक्षण ले - ले पूरा।
नेता के सँग खाएगा ,
तू भी घी - बूरा।।
दीक्षा कर ले पूर्ण ,
वार नहिं जाए खाली।
एक साँस में साठ-साठ,
तब देना गाली।।
5
गाली देना जानते ,
लेने में क्या रोष?
जो दोगे मिलना वही ,
कर मन में संतोष।।
कर मन में संतोष,
कौन कम तुमसे कन भर,
दोगे एक छटाँक ,
मिलेगा तुमको मन भर।।
'शुभम ' न जाओ दूर ,
सिखा देगी घरवाली।
रहो पुलिस के साथ ,
मुफ़्त में सीखो गाली।।
6
गाली नेता को मिले,
जनता की बेभाव।
साले जी सबके लगें,
लगे न उर में घाव।।
लगे न उर में घाव,
अरे ! पत्नी के भैया !,
जीजाओं की सोच ,
अन्यथा डूबे नैया।।
पाँच साल भी दिखे ?
न सड़कें नाला - नाली।
जूते के संग मिलें ,
ब्याज में गंदी गाली।।
7
गाली के आचार का ,
युग आया है आज।
जो नेता गाली बके,
शोभित उसके ताज।।
शोभित उसके ताज,
गले में माला भारी।
चमचे जिन्दाबाद,
हो गए परम सुखारी।।
भोग लगाओ भर-भर,
किशमिश मेवा -थाली।
ध्वनि विस्तारक यंत्र,
प्रसारित करते गाली।।
8
गाली की डिग्री प्रथम-
श्रेणी में अनिवार्य।
नेताजी को चाहिए,
तभी सफ़ल सब कार्य।
तभी सफ़ल सब कार्य,
पंक की खेलें होली।
जाय हृदय के पार,
आग की जलती गोली।।
'शुभम'नहीं साहस कानों में,
बहती परनाली।
गिनगिन अपने,
विरोधियोंको देते गाली।।
9
गाली से ही हो रहा ,
वाक - प्रदूषण तेज़।
वायु प्रदूषित हो गई ,
ख़बर सनसनीखेज।।
ख़बर सनसनीखेज,
भरे अख़बारहु टीवी।
भाषण सुनकर लड़े,
घरों में घरनी बीवी।।
गाली हो गए गीत ,
चल रहीं शहर दुनाली।
भूल गईं नारियाँ ,
ब्याह में गाना गाली।।
💐 शुभमस्तु!
✍ रचयिता ©
💚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें