शुक्रवार, 17 मई 2019

गोरे-गोरे पाँव [गीत]

गोरे -  गोरे      पाँव   तुम्हारे ।
थिरकें   अँगना   में  रतनारे।।

चलती   हो   या नाच रही हो।
प्रेम -  पत्रिका  बाँच रही हो।।
थिरकन की किससे तुलना रे।
देख  न  हारे   नयन   हमारे।।
गोरे-गोरे पाँव ....

कटिसंचालन का क्या कहना
प्रातः की सुगंध  का बहना।।
गति लय लास्य ललित रचना रे।
पावन पायल  का बजना रे।।
गोरे-गोरे पाँव ....

सरिता में ज्यों लहर उछलती।
कल कल छल छल रम्य मचलती।।
मंत्र  -  मुग्ध   होते  हैं    सारे।
नील गगन के टिम टिम तारे।।
गोरे -गोरे पाँव ....

अधरों  में   मुस्कान  मनोहर।
चितवन से सारे दुःख खोकर।
झुकीं पलक  देखीं  हम हारे।
विधना ने अंग - अंग सँवारे।।
गोरे -गोरे पाँव ....

लोल कपोल  गुलाबी लज्जा।
कुंतल की सोहित नव सज्जा
'शुभम' सुखद पृष्ठांग कुँवारे।
देते पल - पल सबल  सहारे।।
गोरे-गोरे पाँव.....

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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