सोमवार, 27 मई 2019

चुनाव की नाव [दोहे]

बैठे     नाव   चुनाव  की,
कुछ   डूबे   कुछ    पार।
जिसको माला मिल गई,
उसे न  मिलती  हार।।1।

चमचेगीरी     में    बहुत,
गुण  हैं   सुनो    सुजान।
माखन  खाने  को मिले,
नेता     कृपानिधान।।2।

सेवा -  व्रत  की  राह में,
मेवा -  घृत    की   धूम।
नेता  की    सेवा    करें ,
नित    ऊँचाई    चूम।।3।

देशभक्ति की ओढ़ ली,
झीनी    चादर      एक।
उसके   नीचे   कर  रहे,
काले करतब 'नेक'।।4।

धर्म सियासत का सजा ,
सुंदर      बड़ा     बज़ार।
अभिनय में जो पटु रहा,
उसका   बेड़ा   पार।।5।

अभिनेता ,अभिनेत्रियाँ ,
गायक , साध्वी  , सन्त।
राजनीति  में   घुस गए,
बदल-बदलकर पंत।।6।

लगा   मुखौटे   जो खड़े,
क्या  उनका   इतिहास?
देख   रहा   है   देश   ये,
इनसे  कैसी आस??7।

वेश बदलकर चोर कब,
हुआ   देश    का  भक्त?
बिन जाने समझे 'करम'
जनता जी  अनुरक्त।।8।

सेवक कह स्वामी बना,
जनता    डाले     फ़ूल।
तन  घोड़े  की पीठ पर,
बैठा  जनता   झूल।।9।

टोपी  रख  दी  पाँव में,
ये   नाटक   का  अंक।
झाँका परखा आँख में,
मिले वोट नि:शंक।।10

💐 शुभमस्तु!
✍ रचयिता ©
🌱 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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