पानी पानी पानी पानी !
पानी की है विकट कहानी।।
पानी से ही मानव जीवन।
पानी प्राणों का संजीवन।।
पानी से पौधे हरियाते।
फूल गीत पानी के गाते।।
पानी का है बादल दानी।
पानी पानी......
धरती प्यासी पौधे प्यासे।
जीव - जंतु सब बड़े उदासे।।
मानव तड़प रहा बिन पानी।
पानी राजा पानी रानी।।
जीवन है पानी का मानी।
पानी पानी .....
पानी को बरबाद करो मत।
व्यर्थ धरा से उसे दुहो मत।।
पानी का उपयोग जान लो।
पानी को सर्वस्व मान लो।।
कहते बाबा नाना नानी।
पानी पानी....
सीमा से बाहर मत जाना।
यों ही पानी व्यर्थ बहाना-
उचित नहीं है मानव तुमको।
अंधकार मय भावी सबको।।
सत्य 'शुभम' बालक की बानी।
पानी पानी....
💐शुभमस्तु!
✍रचियता ©
💧 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें