शनिवार, 18 मई 2019

माँ सरस्वती- आराधना [दोहा]

सरस्वती     माँ   शारदे,
दो   ऐसी   उर - शक्ति।
शब्द-साधना में  निरत,
मति  की  हो अनुरक्ति।।

विमला, विश्वा,  वैष्णवी,
रमा ,  परा      हे   मात!
शब्द -शब्द में प्राण  हों,
स्वर  गुंजित  हों  सात।।

श्रीप्रदा ,    माँ   भारती,
कर     वीणा     झंकार।
तीन भुवन  में शब्द को,
मिले    रूप     साकार।।

शतरूपा , वाणी , शिवा,
देवपूजिता             देवि।
विद्यादात्री         वरप्रदा,
रहूँ  कमल - पद -सेवि।।

सुवासिनी ,वसुधा ,शुभा,
शुभदा ,   सौम्या  , पीत।
त्रिगुणा ,कांता   ,वैष्णवी,
'शुभम'  न  भूले   नीत।।

संस्कार    के   शील  से,
जीवन    हो      साकार।
सावित्री      सुरपूजिता,
खुले   कृपा   तव  द्वार।।

हंसवाहिनी     हंस -सी,
विमल   बुद्धि  दें  मात।
निर्मल श्वेत  सुहास की,
महिमा जग-विख्यात।।

वंद्या , कामप्रदा   सदा,
उर   में  करो   निवास।
महाफला,ब्राह्मी विरुद-
की  हो   हृदय  सुवास।।

महाभुजा ,    सुरवंदिता ,
सुधामूर्ति      अविराम।
मन की हर शुभकामना-
की    पूरक   अभिराम।।

जन्म-जन्म में भक्ति का,
माता       मिले    प्रसाद।
काव्यसाधना  में 'शुभम',
सदा    निरत  हो  साध।।

💐 शुभमस्तु !
✍ रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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