मत की अंधी दौड़ है,
क्या चरित्र पहचान!
आँखों से देखा नहीं ,
उसको कर मतदान।।1।
जनता के कर में नहीं ,
दूरबीन - सा यन्त्र।
जो जाने नेता - चरित ,
दे मत 'शुभम'स्वतंत्र।।2।
जिसकाचरित नहीं कहीं,
दे वह चरित - प्रमाण।
होता है इस देश में,
कैसे हो कल्याण??3।
थोप दिया ज़बरन जबर,
गुंडा दावेदार।
भयवश देते वोट सब,
भला करे करतार।।4।
मात्र तिजोरी का उदर-
भरना सेवा - भाव।
घड़ियाली आँसू भरीं,
आँख दिखाती हाव।।5।
देशभक्ति की आड़ में,
खेलें ख़ूब शिकार।
ऐसे जनसेवक जहाँ,
बार -बार धिक्कार।।6।
छिनरा हत्यारे खड़े,
किसको दें हम वोट।
या अपहर्ता ग़बन कर,
बाँट रहा है नोट??7।
खड़-खड़ हड्डी बज रहीं,
नहीं देह में जान।
बटन दबाउसका 'शुभम',
तब करना जलपान।।8।
मतदाता लाचार है,
मज़बूरी मतदान।
प्रजातंत्र है क्या यही,
मतदाता अनजान।।9।
कुम्भकार जनता यहाँ,
नेता चिकना कुम्भ।
नाम दिया ब्रह्मा तुझे,
फूली झूठे दम्भ।।10।
जनता भोली बावली,
नेता सदाबहार।
सेवक बन जनता ठगे,
पिए दूध की धार।।11।
नेता साधु स्वभाव का,
मत की माँगे भीख।
वेष बदल सीता ठगी,
रावण की पदलीक।12।
भीड़ बढ़ाने के लिए ,
जनता का सत्कार।
बाहर जनता झींकती,
लगा हुआ दरबार।।13।
चमचों की पहचान है,
लाखन फरसा राम।
जनता तो बस भेड़ है,
बाँधी बिना लगाम।।14।
सोने की लंका जले,
भरे पाप का कुम्भ।
माँ दुर्गा के हाथ ही,
मरते शुम्भ-निशुम्भ।15।
💐 शुभमस्तु!
✍ रचयिता ©
⛳ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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