रविवार, 12 मई 2019

ग़ज़ल

बिना छुए  दुल्हन  रह जाए,
क्या सुहाग की रात बताए!

रात कटी  आँखों  में  जागे,
रुनझुन गीत न पायल गाए।

मौन  महावर   मंजुल  मोहक,
बिन साजन क्या हँस मुस्काए

दिल के अरमां मचल मचल कर,
दिल की धड़कन में रह जाए।

लाल अधर रसभरे अधखुले,
इंतजार कर - कर  रह जाए।

नैन  शरबती    अंसुआये  हैं,
छिन-छिन की हर बात बताए।

लोल कपोल गोल गुल आबी,
बिना बोल असहज शरमाए।

थिर पलकें  चादर  निहारतीं,
फ़ूल  गुलाब   रहे    मुरझाए।

महके फूल न चटकीं कलियाँ,
यौवन -पुष्प नहीं खिल पाए।

भँवरे - से  काले  घन  कुंतल,
तनिक न बाल बिखर भी पाए।

मन की मन में साध रह गई,
'शुभम' सखी को क्या जतलाएँ।।

💐शुभमस्तु!
✍ रचयिता©
💚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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