बिना छुए दुल्हन रह जाए,
क्या सुहाग की रात बताए!
रात कटी आँखों में जागे,
रुनझुन गीत न पायल गाए।
मौन महावर मंजुल मोहक,
बिन साजन क्या हँस मुस्काए
दिल के अरमां मचल मचल कर,
दिल की धड़कन में रह जाए।
लाल अधर रसभरे अधखुले,
इंतजार कर - कर रह जाए।
नैन शरबती अंसुआये हैं,
छिन-छिन की हर बात बताए।
लोल कपोल गोल गुल आबी,
बिना बोल असहज शरमाए।
थिर पलकें चादर निहारतीं,
फ़ूल गुलाब रहे मुरझाए।
महके फूल न चटकीं कलियाँ,
यौवन -पुष्प नहीं खिल पाए।
भँवरे - से काले घन कुंतल,
तनिक न बाल बिखर भी पाए।
मन की मन में साध रह गई,
'शुभम' सखी को क्या जतलाएँ।।
💐शुभमस्तु!
✍ रचयिता©
💚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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