रविवार, 19 मई 2019

उलटी गिनती शुरू [ दोहा ]

राजनीति में ध्यान की,
बड़ी   भूमिका    मित्र।
मानस -परदे पर दिखें,
हार-जीत के  चित्र।।1।

मन की आशा क्षीण हो,
तब    जाओ    कैलाश।
बैठ   परीक्षा   में   तभी,
हो   जाओगे  पास।।2।

घुसी   धर्म   में   गंदगी,
राजनीति    की  आज।
तन पर भगवा धारकर,
माँगे सिर पर ताज।।3।

गाली  की पिचकारियां,
निकलीं  हर दिन -रात।
टेका   माथा   चरण में,
करें  धर्म  की  बात।।4।

संस्कार   है    पंक  का,
गाली     के    सरताज़।
बुरे  वचन  की  पीक से,
स्वयं  घिरे हैं  आज।।5।

राजनीति   है   धर्ममय ,
धारण   करे    अनीति?
वाणी   से   हिंसा  करें,
गिरे  धर्म की भीति।।6।

उलटी गिनती अब शुरू,
तीन   और    दो    एक।
दिल की धड़कन बढ़ चली,
वही     पुरानी   टेक ।।7।

टर्र-टर्र    अब   शांत   है,
भरा    हुआ      तालाब।
किसके    हाथों   पंक है,
किसके  हाथों  आब।।8।

गाल   बजे   गाली  बनी,
ताली   बजती      ताल।
आगे -  आगे     देखना ,
क्या  होता है  हाल??9।

धैर्य  नहीं अब रात-दिन,
गया   ज्योतिषी -धाम।।
शुल्क सहित मिष्ठान भी,
गुपचुप पूछा काम।।10।

सबको   कुर्सी   चाहिए,
गले    फ़ूल    का   हार।
हार पुल्लिंगी  ही मिले,
तब  होगा उद्धार।।11।

पहलवान जब दो लड़ें,
जीते    केवल      एक।
कितनी  टाँगें खींच लो,
पर करनी कर नेक।।12।

झूठा   परदा   झूठ  का,
अब    खोलेगा     भेद।
सच तो कहना ही पड़े,
कितने किसके छेद।।13।

कोई    माला - माल  है,
कोई      माला      हीन।
एक   सीट  पर  एक ही,
मुखड़े  शेष मलीन।।14।

नोंकझोंक कुछ दिन चले,
हार -   जीत  की  बात।
राजा  जीता    है  सदा,
जनता की हो मात।।15।

ढर्रे     पर    चलने   लगे,
लोकतंत्र    की      नाव।
किश्ती     तैरे     रेत  में,
जिसका जैसा दाँव।।16।

जनता  ही   हथियार  है,
जनता   ही   है    ढाल  ।
काम निकल जाए 'शुभम',
कौन   पूछता हाल।।17।

अंधे  भक्तों   की  कथा ,
क्या  करना  अब  मित्र!
सभी  बाल गिर जाएँगे,
नीचे जो अपवित्र।।18।

नाड़े   अपने   बाँध लो ,
कसकर  कमर  सँभार।
बड़े   पेट   छोटे   करो,
कहता 'शुभम' विचार।19।

💐 शुभमस्तु!
✍ रचयिता ©
📕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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