◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍ शब्दकार©
🌳 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
-1-
आयौ सावन मास,
भरौ मन में हुलास,
दूरि ताप कौ संत्रास,
अंग - अंग भीजतौ।
मेघ छाए हैं आकाश,
कन्त मेरौ नहीं पास ,
करै विरहा कौ नाश,
मोहि देखि रीझतौ।।
मोरी सूखि रही जान,
गई आन बान शान,
गए - गए लगें प्रान,
मन मेरौ खीझतौ।
नैन देखि रहे राह,
शेष बची एक आह,
बीति गए चार माह,
शुभंग पसीजतौ।।
-2-
झूले पड़े आम डाल,
सखी चूनरी सँभाल,
नाहीं कर तू सवाल,
बेगि - बेगि झूलना।
राधा सँग झूलें श्याम,
साथ रति के हैं काम,
पींग भरते उद्दाम,
नहीं नीति भूलना।।
सखी आईं साथ चार,
करें प्रीत मनुहार,
चाह मेह की फुहार,
मोद माँहिं झूमना।
राधा सखी को बुलाय,
लेतीं पटली बिठाय ,
सखी आई धाय -धाय,
बेगि लगी कूदना।।
-3-
आई हरियाली तीज,
सखी रहीं भींज -भींज ,
अँखुआये हरे बीज ,
गातीं मस्त कजरी।
पूजें पंचमी को नाग ,
जिन्हें मिलौ है सुभाग,
मन आजु बाग - बाग,
बोई जाएँ भुजरी।।
ठुमक - ठुमक चाल,
देख मनवा बेहाल,
करे पायलिया ताल ,
बेगि - बेगि भजरी।
अँगियाहू भई तंग,
मन जागी है उमंग,
काम - रति करें रंग,
साँस आवै पजरी।।
-4-
छाए मेघ घनघोर,
कूकि शोर करें मोर,
होत महकाई भोर,
बीजुरिया चमके।
लेत पवन झकोर,
ताके शून्य में चकोर,
दृश्य चाँद की न कोर,
मेघ आए थमके।।
करें झींगुर झंकार,
टर्र दादुर पुकार ,
दिखें फफूँदी सिवार,
राम गुड़िया रमते।
नैन भरौ है खुमार,
आई वर्षा की बहार,
भीगे छप्पर किवार,
राति हारी तम ते।।
-5-
आई ऋतुओं की रानी,
कौन और तेरौ सानी,
धारी शाटिका तू धानी,
तेरी बलिहारी है।
अम्बु झरै मंजु मेह,
शुभ्र बरसौ है नेह,
खेत, वन, बाग , गेह ,
नीर उपहारी है।।
कहूँ बाढ़ हू अकाल,
कहूँ धावतौ धमाल,
रोजु बदले तू चाल,
वर्षा उपकारी है।
गयौ जेठ गयौ ताप,
धरा करती है जाप,
पुण्य पावस की छाप,
शुभं हितकारी है।।
💐 शुभमस्तु !
23.07.2020 ◆7.00अप.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें