रविवार, 26 जुलाई 2020

रोटी की कहानी [ बालगीत ]

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✍ शब्दकार ©
🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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रोटी  की    अनमोल कहानी।
रोज नई ,   होती   न पुरानी।।

खट्टी   मीठी  नहीं    सलौनी।
होती रोटी    सदा   अलौनी।।
जैसे    स्वादहीन    है  पानी।
रोटी  की अनमोल  कहानी।।

पेड़ा   गर्म   जलेबी    फीके।
रोटी के सब गुण  हैं   नीके।।
नहीं सुहाती फ़िर गुड़धानी।
रोटी की अनमोल कहानी।।

गोल -  गोल   रोटी की काया।
स्वाद सभी को उसका भाया।
पहले रोटी  फिर  घर -छानी।
रोटी  की अनमोल  कहानी।।

रोटी की   क्या   कोई समता?
रसगुल्ला भी वहाँ न टिकता।
सभी  मिठाई   भरती  पानी।
रोटी  की अनमोल  कहानी।।

सदा   मान   रोटी का रखना।
करके श्रम सब रोटी चखना।
'शुभम'स्वेद श्रम की है ठानी।
रोटी की अनमोल कहानी।।

💐 शुभमस्तु !

26.07.2020◆2.45अप.

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