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✍ शब्दकार ©
🐸 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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देखो दादुर टर -टर गाते!
दादुरियों को रिझा बुलाते।।
जब सावन के बादल बरसे।
दादुर दल के मन भी हरसे।।
सरवर में संगीत सुनाते।
देखो दादुर टर - टर गाते!!
जल के तल पर बूँदें झरतीं।
ताल - पोखरे सारे भरतीं।।
धमा -चौकड़ी भेक मचाते।
देखो दादुर टर - टर गाते!!
मौन मेंढकी बड़ी लजाती।
पास नहीं मेंढक के जाती।।
मेंढक उसे ढूँढ़ ही लाते।
देखो दादुर टर - टर गाते!!
सुबह हुई थम जाती टर -टर।
अंडे तैर रहे हैं जल पर।।
वे अपना परिवार बढ़ाते।।
देखो दादुर टर -टर गाते!!
कुछ दिन बीते मछली जैसे।
शिशु दादुर के तैरें ऐसे।।
काले - काले सर उतराते।
देखो दादुर टर - टर गाते।।
शुभमस्तु !
13.07.2020 ★1.15 अप.
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