गुरुवार, 16 जुलाई 2020

दादुर टर -टर गाते [ गीत ]

★★★★★★★★★★★★★★★★
✍ शब्दकार ©
🐸 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★★★★★★
देखो   दादुर   टर -टर  गाते!
दादुरियों को  रिझा  बुलाते।।

जब  सावन  के बादल बरसे।
दादुर दल के  मन भी हरसे।।
सरवर   में    संगीत  सुनाते।
देखो  दादुर  टर - टर  गाते!!

जल के  तल  पर बूँदें  झरतीं।
ताल -  पोखरे  सारे  भरतीं।।
धमा -चौकड़ी   भेक  मचाते।
देखो  दादुर   टर - टर  गाते!!

मौन   मेंढकी  बड़ी लजाती।
पास नहीं  मेंढक  के जाती।।
मेंढक   उसे   ढूँढ़   ही लाते।
देखो  दादुर  टर - टर  गाते!!

सुबह हुई  थम जाती टर -टर।
अंडे   तैर   रहे   हैं  जल पर।।
वे  अपना   परिवार  बढ़ाते।।
देखो   दादुर   टर -टर गाते!!

कुछ  दिन  बीते मछली जैसे।
शिशु   दादुर   के  तैरें   ऐसे।।
काले - काले   सर    उतराते।
देखो   दादुर  टर - टर  गाते।।

शुभमस्तु  !

13.07.2020 ★1.15 अप.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...