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✍ शब्दकार©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
सावन में झूले पड़े , कजरी गीत मल्हार।
गाएँ सखियाँ बाग में, छाई मेघ बहार।।
छाई मेघ बहार, गरजते बरसे बादल।
झर झर झरती बूँद , हवा मदमाती पागल।।
'शुभम'तड़कती बीजु,बनी है धरती पावन।
राखी का त्यौहार, मगन हो बरसा सावन।।
-2-
झूला झूलें राधिका,झोंटा दें घनश्याम।
चुहल करें प्यारी सखी,देख युगल अभिराम
देख युगल अभिराम चिकोटी काट कमरिया
उचकी राधा तेज,न जानी बात सँवरिया।।
'शुभम'पूछते बात,देख राधा को ऊला।
चींटी काटी एक, बताया राधा झूला।।
-3-
डाली विटप कदंब की,यमुना तीर ललाम।
राधा झूला झूलतीं, सँग में प्यारे श्याम।।
सँग में प्यारे श्याम,कंध के बंध लगाए।
सोहें विद्युत मेघ, मोरपख शीश सजाए।।
'शुभम'देख वह रूप,मुदित सखियाँ दें ताली।
वंशी की सुन टेर, मोर नाचे हर डाली।।
-4-
चंचल चितवन डालके,गही कान्ह की बाँह।
पौरी में से ले गई,राधा तरु की छाँह।।
राधा तरु की छाँह,अधर हँसि के कुछ बोली।
लेकर के घन कुंज,भरी कान्हा की कोली।।
'शुभम'सुहाना भोर,मोर का शोर दिगंचल।
झूलेंगे हम श्याम,चारु चलते चित चंचल।।
-5-
झूला माँ की गोद का, रहता सदा बहार।
बाँहों की दो डाल पर,गाता गीत मल्हार।।
गाता गीत मल्हार, स्वर्ग में पुत्र झुलाता।
जीवन भर की याद,बाँह का झूला लाता।।
'शुभम' भले ही आज,आदमी ऐसा भूला।
झूले रहे न डाल, सावनी खोया झूला।।
💐 शुभमस्तु!
11.07.2020 ◆4.00अप.
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