मंगलवार, 7 जुलाई 2020

पूर्व [ अतुकान्तिका ]


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✍ शब्दकार©
🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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पूर्व की दिशा
सूर्योदय की दिशा
प्रकाशोद्भव की दिशा
विदा होती हुई निशा
सूर्यागम से पूर्व
आती है उषा।

ईशान और
अग्निकोण के मध्य
पूर्व का अस्तित्व,
जैसे भोर काल में
माँ सरस्वती का कवित्व,
दस दिशाओं का 
अमर तत्त्व।

पूर्व में पूरा
पूर्णता का द्वार,
पूर्व से पूर्व
नहीं दिशाओं का 
उपहार,
आता पश्च
पश्चिम उत्तर दक्षिण
पूर्वाभिमुख हो
करते शुभ कार्य।

पूर्व है 
पहले का 
नहले पर 
दहले- सा
दिशाओं के
तन मन पर,
शोभित है गहने -सा।

पूर्व जन्म
पूर्व कर्म
भविष्यत के मर्म
निर्धारक वर्ण 
औऱ धर्म,
अस्तित्व विहीन है
देह का चर्म।

गणना में  प्रथम,
शुभातिशुभम,
शून्य है अहम
शेष नहीं वहम,
मात्र पूर्व का
स्वत्व अस्तित्व
प्रकृति में
प्रभुत्व!

06.07.2020 ◆3.45 !अप.

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