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✍ शब्दकार©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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ग़र काम बुरा हो तो अंजाम बुरा देगा।
सीरत को भी तुम्हारी बदनाम करा देगा।।
सूरत को आईना वो तेरी दिखाता है,
खोटा करम तो तेरी सूरत ही मिटा देगा।
है जोश जिंदगी में तो है जुनू का जज़्बा,
कतरा-ए -जहर पल में हस्ती को मिटा देगा।
फूलों की सेज तेरी काँटों की न बन जाए,
है वक्त गर बुरा तो माटी में मिला देगा।
बोझा लिये ग़मों का क्योंकर दबा-दबा सा,
खुशियों को सहज में ही दुरदुरा देगा।
इस दोपहरी में साया भी नहीं तेरा,
फिर चरमरा उठेगा जिस्म थरथरा देगा।
हम सब तो हैं अकेले ये जानता है 'शुभम',
ये हौसला अफ़जाई अंजाम भला देगा।
💐 शुभमस्तु !
17.07.2020 ◆9.50 पूर्वाह्न।
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