रविवार, 26 जुलाई 2020

मोबाइल जब से घर आया [ बालगीत ]

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✍ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मोबाइल  जब से  घर आया।
झूठ  बोलना हमें  सिखाया।।

झूठ   बोलते     मम्मी  पापा।
दिखलाते   झूठा  अपनापा।।
खाते    नीबू  आम    बताया।
मोबाइल  जब  से घर आया।।

होते     घर    बाजार  बताते ।
बाइक  से  हारन    सुनवाते।।
आगन्तुक  को  खूब छकाया।
मोबाइल जब  से घर  आया।।

एक मिनट   का  घंटा  होता।
दस मिनटों में दिनभर सोता।
जो मन आए   वही  बताया।
मोबाइल जब से घर  आया।।

मोबाइल   का   दोष  नहीं है।
उस पर कोई   रोष   नहीं है।।
झूठ आदमी   की हर  माया।
मोबाइल जब  से घर  आया।।

ठगी   झूठ   के  जाल फरेबी।
बनते मिटते नित   सुर देवी।।
आभासी दुनिया  की छाया।
मोबाइल जब से घर आया।।

💐 शुभमस्तु !

26.07.2020◆2.00अप.

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