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✍ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आओ हम सब झूला झूलें।
पेंग बढ़ाकर अंबर छूलें।।
सावन लगा मेघ दल बरसे।
लगती झड़ी देख मन हरसे।।
नहीं उड़ रही हैं अब धूलें।
आओ हम सब झूला झूलें।।
चलो बाग में झूला डालें।
टपका गिरे उठाकर खा लें।।
पटली बैठ गगन में ऊलें।
आओ हम सब झूला झूलें।।
देखो गायें भटक न जाएँ।
जब झूले में हम खो जाएँ।।
वर्षा से जामुन फल फूलें।
आओ हम सब झूला झूलें।।
सखियाँ सभी बाग में आईं।
झूले देख बहुत हरसाईं।।
सावन का आनंद वसूलें।
आओ हम सब झूला झूलें।।
💐 शुभमस्तु !
11.07.2020 ◆1.00अप.
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