रविवार, 12 जुलाई 2020

चैन-चोर [ चौपाई ]

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✍ शब्दकार ©
📱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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चैन - चोर   हमने  भी पाला।
लेना मुश्किल हुआ निवाला।।

सोते - जगते   साथ न  छोड़े।
उठते सुबह युगल कर जोड़े।।

प्रथम  प्रणाम चोर की सरना।
झरता समाचार   का झरना।।

चित्र  भेजते    सुप्रभात   का।
उपदेशों की  बड़ी   बात का।।

चैन   चुराया  मन   का सारा।
मोबाइल  से   मानव   हारा।।

खबरें  ,चित्र ,वीडियो  नाना।
सबने अपना सद्गुरु  माना।।

झूठी -  साँची   दुर अफवाहें।
आ जातीं   सारी   अनचाहें।।

कितना  भी  हम उन्हें हटाएँ।
एक हटे  सौ-सौ   आ जाएँ।।

दिन भर उनकी करो सफ़ाई।
देव -  देवियाँ    दिए मिटाई।।

अनुमति लिए बिना हम जोड़े
कैसे    उनसे    नाता   तोड़ें।।

सब  सँदेश  उनके तुम जानो।
मानो   चाहे  भले  न  मानो।।

जब तक   चोर जागता रहता।
छेड़-छेड़ कर कुछ भी कहता

न्यूज़ पटल बन गए खबरिया।
जानो उनकी न्यूज़ जबरिया।।

जाति , धर्म   के  मंच सजे हैं।
कवियों   के भी  बड़े मजे हैं।।

सारे   दिन   सम्मेलन चलते।
सो  जाते हैं   सूरज   ढलते।।

मज़ेदार   बहसें  भी  चलतीं।
तू-तू   मैं-मैं   भारी ख़लतीं।।

मैं जब कविता उन्हें सुनाता।
पढ़कर वह गूँगा बन जाता।।

शब्द न  एक   बदन  से फूटे।
तब हम   अपना  माथा कूटे।।

भैंस  सामने   बीन   बजाई।
भैंस समझती   सानी आई।।

लेटी  भैंस   खड़ी    पगुराई।
उसे न  भाती  ये  कविताई।।

अंधे -  गूँगे   देखे     कितने।
पढ़े -  बेपढ़े   सम  हैं इतने।।

मजबूरी  जन   की जिज्ञासा।
चाहें   गूँगी   ज्ञान -पिपासा।।

बेशर्मी      इतनी    है    छाई।
बहरी   बहिना    अंधे  भाई।।

संततियाँ    चौपट   हैं  सारी।
घर -घर   में  फैली बीमारी।।

सत्यानाश  किया   शिक्षा का।
बालक  है  अपनी इच्छा का।।

पढ़ने का   मजबूत   बहाना।
मकड़जाल मोबाइल ताना।।

आज्ञापालन   स्वप्न  हो गया।
चरित जहाँ से हवा खो गया।।

अतिथि कभी घर जो आ जाए।
सन्नाटे  में   घर   को   पाए।।

हाथ   मोबाइल  लिए पड़े हैं।
सोफा कुर्सी  मगन  खड़े हैं।।

चाय  - नाश्ता  मिले न पानी।
होती नहीं  मित्र - अगवानी।।

आपस    में   सब   गूँगे  ऐसे।
साँप   सूँघकर  निकला जैसे।

चहल - पहल की हुई विदाई।
चैन-चोर   ने  नींद     चुराई।।

आता   चैन   बन्द  जब होता।
सुखद शांतिका खुलता सोता

दुनिया   मोबाइल  के   पीछे।
पागल   अपनी   दोनों मींचे।।

सब   मोबाइल    बुरा बताते।
फिर भी उस पर नेह जताते।।

चैन -   चोर    ने चैन चुराया।
हर घर सबने   गले लगाया।।

💐 शुभमस्तु !

11.07.2020 ◆7.15 अपराह्न।

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