बुधवार, 18 अक्तूबर 2023

देवार्चन के शब्द ● [ दोहा ]

 455/2023

                   [ दोहा  ]

[नैवेद्य,आचमन,नीराजन,शंख,मंत्र]

              

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● © शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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       ● सब में एक ●

माता   के  नैवेद्य   में,    पूरी, हलवा, खीर।

छोले भी अर्पित करें,धर उर में अति  धीर।।

ले कर में नैवेद्य को,लगा देव का भोग।

पाते हैं प्रिय भक्त भी,रहते सदा निरोग।।


तन-मन को पावन करें,करें आचमन मित्र।

पूजा  से   पहले   सदा,पूजें प्रतिमा  चित्र।।

शुद्ध सलिल का आचमन,करना है अनिवार्य।

मंत्र सहित तब कीजिए,पूजा -अर्चन - कार्य।।


पूजा  की संपन्नता, नीराजन   से    मीत।

क्षमा -  निवेदन  बाद  में,गाएँ सस्वर   गीत।।

अस्त्र-शस्त्र की शुद्धि का,नीराजन त्योहार।

कार्तिक में राजा करें,तब उठते   हथियार।।


होती है जब शंख-ध्वनि,ऊर्जा मिले सकार।

सूक्ष्म रोग अणु नष्ट हों,प्राकृतिक  उपहार।।

वास्तुदोष को दूर कर,हरता विघ्न   अनेक।

पितृदोष भी शांत हों,शंख गुणी   अतिरेक।।


देवी का पूजन करें,  सिद्ध मंत्र   के  साथ।

तन-मन भी पावन बने,मिले कृपा वर हाथ।।

माता जननी जनक का,सेवा ही   है  मन्त्र।

'शुभम्' कहीं भटकें नहीं,वे तेरे   शुभ  तंत्र।।


          ● एक में सब  ●

शंख,आचमन,मंत्र हैं,

                          देवार्चन के सत्त्व।

नीराजन     नैवेद्य  का,

                           भूलें  नहीं महत्त्व।।


●शुभमस्तु !


18.10.2023◆7.00 आ०मा०

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