460/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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रूप की धूप का कीजिए,गुमान क्या ?
उतर ही जाएगी उसका,उठान क्या??
रंग-रोगन से चहकती चमड़ी तेरी,
खाक होनी है पल में, निशान क्या?
तू कौन है किसलिए आया है यहाँ,
हुआ नहीं है अभी तुझे, संज्ञान क्या ?
माटी के बने पुतले हस्र भी माटी,
जान पाया न अभी तू , जहान क्या ?
बनाया जिस रब ने उसे भी जान 'शुभम्',
चार दिन की है चाँदनी,उनमान क्या?
● शुभमस्तु !
21.10.2023◆ 7.45आ०मा०
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