459/2023
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
माँ दुर्गा की भक्ति नहीं
बस नौ दिन की,
प्रतिदिन मन से
भाव भरें
माँ की सेवा में
तभी कृपा हो।
ये मौसमी भक्ति का
ज्वर कब तक?
बस नौ दिन का!
शारदीय या वासंतिक
दिवस बस नौ के दूने।
नहीं शोर से
दिखला अपना जोश
होश खो,
ज्यों बहता
बरसाती नाला
धरर -धरर कर।
ध्वनि यंत्रों में
भक्ति नहीं है,
शक्ति नहीं है,
कितना ही वॉल्यूम
बढ़ा ले,
शान दिखा ले!
आडम्बर बस।
श्रद्धा -भक्ति समन्वय
मन से ही होना है,
नहीं कृपा- कर
मिल सकता यों
दिखावटों से,
सजावटों से।
'शुभम्' ध्यान में
माँ को लाएं,
भाव जगाएँ,
तभी कृपा का
कर भी पाएँ,
औरों को
माँ भक्त जताएं,
धोखा अपने को
दे जाएँ,
उचित नहीं ये।
●शुभमस्तु !
19.10.2023◆9.30प०मा०
●●●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें