बुधवार, 11 अक्तूबर 2023

कोदों के हरियाले खेत ● [ गीत ]

 447/2023


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● ©शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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लहराते हैं

दाने भर - भर

कोदों के हरियाले खेत।


सबकी चिंता

धरती माँ को

चिड़िया का भी भरती पेट।

दाना पाना 

ही है सबको

करता   है   कोई   आखेट।।


पर्वत सागर

धरती का तल

या मरुथल की सूखी रेत।


ये कोदों भी

मिला न करता

कभी सुदामा को भी नित्य।

वैभवशाली 

आज खा रहे

औषधिवत माना औचित्य।।


देख फसल को

नाचें पौधे

मानों गाते हों समवेत।


घेघा रूसी

उदर रोग सह

मधुमेही करते  उपयोग।

डंडोरी में

आदिवास जन

बोते कोद्रव रहें निरोग।।


महिलाओं के

योगदान से

'शुभम्' परिश्रम जन के हेत।


 ●शुभमस्तु !


10.10.2023◆ 10.45 आ०मा०

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