440/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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खील-खिलौनों के छिन आए।
दीवाली के दिन मनभाए।।
वर्षा गई शरद ऋतु आई।
इधर -उधर शीतलता छाई।।
कूकर पागल - से बन धाए।
दीवाली के दिन मनभाए।।
घर - घर होने लगी सफाई।
नाले-नाली कीचड़ - काई।।
सबने आँगन-द्वार सजाए।
दीवाली के दिन मनभाए।।
झालर,दिए, तेल लाने हैं।
पुए कचौड़ी पकवाने हैं।।
माँ ने नए वस्त्र दिलवाए।
दीवाली के दिन मनभाए।।
लक्ष्मी मातु शारदा आतीं।
शुभ गणेश को सँग में लातीं।
पूजा की सुगंध नव छाए।
दीवाली के दिन मनभाए।।
'शुभम्'सभी मिल आरति गाएँ।
पूज्य जनों को शीश झुकाएँ।।
मात -पिता के आशिष पाए।
दीवाली के दिन मनभाए।।
●शुभमस्तु !
05.10.2023◆ 2.45प० मा०
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