सोमवार, 16 अक्तूबर 2023

घिरा आज इज़राइली ● [ सजल ]

 452/2023

  

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

● समांत :इयाँ।

●पदांत :अपदान्त।

●मात्राभार : 20.

●मात्रा पतन : शून्य।

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

● ©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

गीत गाते  मरीं  गाँव   की गोरियाँ।

गिरीं खेत  में  ज्यों वे भरीं बोरियाँ।।


हमासी    दानवों  ने   बहाया लहू।

मिट   गईं  लुट  गईं  जंग में लोरियाँ।।


आत्मरक्षा  में  रहें  प्राण  जाएँ भले।

चढ़ाने    लगे   लोग   वृथा त्योरियाँ।।


घिरा   आज  इजराइली चारों दिशा।

दौड़ने यों   लगीं   तोप,  गन, लौरियाँ।।


युद्ध से कब किसी का भला हो सका।

शिशु, बूढ़े,जवान, कब बचीं छोरियाँ।।


महायुद्ध   है  फाड़  दुनिया   दो   हुई।

गिर   गए हैं   महल  ढह गईं पौरियाँ।।


'शुभम्'  आग   में हैं हाथ सिंकने   लगे।

लोग   उन्मत्त   से   देते गलबाहियाँ।।


 ●शुभमस्तु !


16.10.2023◆11.45 आ०मा०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...