बुधवार, 11 अक्तूबर 2023

शरद सुहानी सौम्य है ● [ दोहा ]

 448/2023


 

[क्वार,निशांत,विजन,हीरक,शरद ]

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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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      ● सब में एक●

पावस बीती क्वार का,आया पावन मास।

लगे  फूलने  मेंड़  पर, हरे लहरते  कास।।

 वर्जित है   आहार में,हरित करेला  मीत।

घाघ कहें सुन भड्डरी,समझ क्वार की रीत।।


तारे रहे न चाँदनी,होता 'शुभम्'  निशांत।

उषा-रश्मियाँ झाँकतीं,भानु उदय नव कांत।।

संत,मनीषी,कवि बड़े,रहते सदा   निशान्त।

समय पड़े तब बोलती,वाणी निर्मल   कांत।।


विजन गहे  निज हाथ में,झलती माता एक।

लाल न जागे नींद से,भाव हृदय   में   नेक।।

गहरी आधी रात को,जाना विजन न  राह।

अला-बला घूमा करें,देतीं जन को    दाह।।


हीरक सुत संतति सदा,शुभकारी परिवार।

घर में तीर्थ  प्रयाग  है, गंगामय   हरिद्वार।।

देखे वैवाहिक शरद,हीरक जिसने  मीत।

उज्ज्वल ही  भावी रहे,गा प्रसन्नता - गीत।।


शरद सुहानी  सौम्य  है,सर्द चाँदनी  रात।

दे  गलबाँही   प्रेम   से, करते प्रेमी    बात।।

माँ दुर्गा की अर्चना,शरद 'शुभम्'आनंद।

अंबर से बहने लगा, मधुर -मधुर मकरंद।।

   

       ● एक में सब●

शरद क्वार शुभ मास है,

                    सरसिज खिले निशांत।

हीरक विजड़ित चंद्रिका,

                     झलती विजन सुकांत।।


*  निशांत= 1.प्रातः 2.शांति युक्त।

* विजन =1.व्यजन 2.जनहीन।

*  हीरक =1.हीरा 2.जन्म आदि का 60वां वर्ष।



●शुभमस्तु !


10.10.2023◆11.00प०मा०

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