शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

प्रतीक्षालय से ● [अतुकान्तिका]

 450/2023

        

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●© शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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प्रतीक्षालय से

उतर कर 

अपना शुभाशीष देने

आए हैं 

पितृ हमारे।


पितृ लोक 

प्रतीक्षालय है एक,

यम लोक से 

छियासी हजार योजन

ऊपर दक्षिण दिशा में

जहाँ निवास है

अपने पितरों का,

श्राद्ध पक्ष में

आमंत्रण पर

वे हमारे घर 

आ उतरते हैं।


जल तर्पण 

तिल दुग्ध संग

डाभ मूल से

भोजन दान सह,

पितरों का 

स्वागत हम करते,

वे होकर तृप्त

शुभाशीष 

मौन उच्चरते।


नहीं हैं वे

नरक में

नहीं हैं किसी स्वर्ग में,

पितृलोक का

 प्रतीक्षालय,

जब भी मिलें

उचित माता -पिता

उन्हें वहीं जाना है,

पुनः मानव योनि

को पा जाना है।


स-श्रद्धा हम

उनकी संतति

विनम्र भाव से

उनकी आत्मा का

तर्पण करते हैं।

हमसे न हो

ऐसा कोई कृत्य

कि वे क्रोधित हों,

इससे नित डरते हैं।

ईश्वर करे 

उनके कर्मानुसार

उन्हें सद्गति दें,

सद भाग्य दें,

कामना मन की।


● शुभमस्तु !


12.10.2023◆3.00 प०मा०

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