बुधवार, 12 जून 2024

छुट्टियाँ [चौपाई]

 256/2024

              


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


चलो    छुट्टियाँ    वहाँ     मनाएँ।

जहाँ  शांति से   हम  रह   पाएँ।।

गर्मी   हुई    तेज    अति   भारी।

यात्रा    की     अपनी    लाचारी।


किसे  छुट्टियाँ   सदा   न  भातीं।

करता श्रम  उसको  ललचातीं।।

पढ़ने   वाले   या   किसान   हों।

सीमा  पर   लड़ते  जवान    हों।।


करें      नौकरी      या    मजदूरी।

मिलें    छुट्टियाँ   उनको      पूरी।।

तन थकता तो  मन   भी थकता।

अनथक  कैसे   मग   में चलता।।


 गर्म    मशीनें     भी    हो   जाती।

श्रम   क्षमता    उनकी   मुरझाती।।

उन्हें  रोक  कर    शीतल   करना।

थकन मशीनी  को  नित    हरना।।


श्रम   क्षमता    छुट्टियाँ   बढ़ातीं।

नई  चेतना    तन    में     लातीं।।

कर्मशील    कोई    भी   कितना।

सभी  थकित हों करता जितना।।


मेले     ब्याह    पर्व    हैं    आते।

किसे नहीं वे     खूब     रिझाते।।

इसी      बहाने     छुट्टी       लेते।

काम  सभी   हम   निबटा   देते।।


'शुभम्'   चलो     छुट्टियाँ   कराएँ।

मात -  पिता   सँग      घूमें  आएँ।।

खेलें -  कूदें      मौज       मनाएँ।

नैनीताल     घूम      कर    आएँ।।


शुभमस्तु !


03.06.2024●10.45आ०मा०

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