गुरुवार, 20 जून 2024

सभी खिलौने में भूले हैं [बालगीत]

 281/2024

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'.


सभी     खिलौने    में    भूले    हैं।

लिए    हाथ    में    वे   फूले   हैं।।


क्या  बालक   बूढ़े    नर  -  नारी।

सबको   लगी   एक     बीमारी।।

आसमान  तक    वे     ऊले    हैं।

सभी    खिलौने    में    भूले   हैं।।


अतिथि कभी  घर  पर जो  आए।

तरस - तरस  पानी   को   जाए।।

बंद     पड़े  घर     के    चूले    हैं।

सभी    खिलौने    में    भूले   हैं।।


बालक      बैठे    छोड़     पढ़ाई।

सभी व्यस्त   हैं     चाची   ताई।।

दुलहिन   हो   या   हों    दूले  हैं।

सभी    खिलौने  में    भूले    हैं।।


 बाबू    छोड़    काम   को   बैठा।

कहो   काम   की  उलटा   ऐंठा।।

धरे    मोबाइल    के    पूले     हैं।

सभी    खिलौने    में   भूले    हैं।।


'शुभम्'  तवे   पर   जलती   रोटी।

कच्ची - पक्की     पतली -मोटी।।

घर  भर   में     कचरा- धूलें     हैं।

सभी    खिलौने  में      भूले   हैं।।


शुभमस्तु !


20.06.2024●12.00मध्याह्न

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