260/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
जनमत ही सबसे प्रमुख,प्रजातंत्र में आज।
जनादेश देता वही, बना देश का साज।।
लालच देकर चाहते,जनादेश कुछ लोग।
जनता ठुकराती उन्हें,लगा पराजय रोग।।
आश्वासन झूठे दिए, भाषण भी पुरजोर।
जनादेश कैसे मिले , केवल करते शोर।।
जनादेश उसको मिले, जो जीते विश्वास।
कुछ तो होनी चाहिए, दलबन्दों से आस।।
जातिवाद के नाम पर, जनादेश है व्यर्थ।
करे न राष्ट्र विकास जो,उसका भी क्या अर्थ।।
आडंबर या ढोंग से , जनता जाती ऊब।
जनादेश मिलता नहीं, लफ्फाजों को खूब।।
जनादेश उसको मिले, जो दे जन को काम।
विक्रय करे न देश की,सम्पति नमक हराम।।
करना ही तुमको पड़े, जनादेश स्वीकार।
काम न आए देश के, वह जनमत है भार।।
बने नहीं सरकार तो, जनादेश है व्यर्थ।
निधि खा पीकर मौज कर,नहीं देश के अर्थ।।
समझें जनता को नहीं, नेता कोई मूढ़।
भाषण से मिलता नहीं,जनादेश क्या रूढ़।।
'शुभम्' देश को चाहिए,दल करता संघर्ष।
जनादेश उसको मिले, करे देश उत्कर्ष।।
शुभमस्तु !
05.06.2024 ● 9.45आ०मा०
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