गुरुवार, 20 जून 2024

गर्मी ने क्या धूम मचाई [बालगीत]

 279/2024

        

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गरमी     ने   क्या   धूम   मचाई! 

हालत     कैसी     बुरी   बनाई!!


तवा  समान जल   रही    धरती।

चलती  लू    चिड़ियाएँ    मरती।।

पत्ती -   पत्ती     रही      जलाई।

गरमी  ने    क्या    धूम   मचाई!!


सूख    गए     हैं  ताल -  तलैया।

प्यासी  मरतीं     बकरी     गैया।।

भैंसों  की   भी    आफत   आई।

गरमी ने    क्या    धूम    मचाई!!


मेढक  -   मछली      मरते   सारे।

नर -  नारी     व्याकुल      बेचारे।।

सूख  गई    नदिया    की    काई।

गरमी  ने    क्या      धूम   मचाई।।


अमराई    में      टपका     टपके।

उन्हें बीनने   हम    सब   लपके।।

जीजी  को    रुच    रही   खटाई। 

गरमी  ने     क्या    धूम   मचाई!!


'शुभम्'  उधर   खरबूजे   महके।

खाने को हम   बालक   चहके।।

तरबूजे     में      लाल    मलाई।

गरमी  ने  क्या   धूम     मचाई।।


शुभमस्तु !


20.06.2024●10.30आ०मा०

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