282/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मधुमक्खी का छत्ता देश।
देन एकता का संदेश।।
सदा संगठित रहना साथ,
तब बनता सुदृढ़ निज देश।
जाति - पाँति मजहब का भेद,
हर्ष न छीने उनका देश।
फूलों से रस भरकर लातीं,
भरा मधुरता से शुभ देश।
करें परागण फूलें खेत,
विटप शाख पर सजता देश।
बाँट -बाँट कर करतीं काम
लड़ना क्योंकर अपना देश।
'शुभम्' मनुज सब ही लें सीख,
नेक बनाएँ शुभकर देश।
शुभमस्तु !
20.06.2024●12.30 प०मा०
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