बुधवार, 19 जून 2024

त्याग [ चौपाई ]

 273/2024

              

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मथुरा     के     कान्हा   अवतारी।

त्याग  बने    ब्रज    में    संसारी।।

गोकुल   को अपना   पथ   साधा।

पथ  में  मिलीं  बहुत विधि  बाधा।।


मात   यशोदा     को    अपनाया।

ग्वाल बाल    से    नेह   लगाया।।

गोकुल  कब तक  उनका   होता।

त्याग  गए   वन   सबको   रोता।।


मथुरा   पुनः   पुकार   रही   थी।

त्याग वृत्ति  उर धार   बही   थी।।

कंस असुर   सबको   ललकारा।

गोकुल त्यागा    किया  किनारा।।


मिली  राह  में    कुबड़ी   दासी।

त्यागा  कूबड़    भरी    उबासी।।

जन से मोह न    करना   जाना।

त्याग  पंथ    जिनका  पैमाना।।


कब तक बन मथुरा   के   वासी।

रहे कृष्ण कब   त्याग   उदासी।।

पुरी    द्वारिका   जलधि   बसाई।

त्याग भाव    की     छाई   काई।।


जब ब्रज   में   अपनाई   राधा।

त्याग उन्हें भी निज पथ साधा।।

त्याग त्याग बस त्याग कमाया।

अवतारी   जब भू   पर  आया।।


'शुभम्' त्याग की विकट कहानी।

अति अनहोनी जग   ने   जानी।।

त्याग भाव  का   पाठ   पढ़ाया।

अवतारी कान्हा  जब    आया।।


शुभमस्तु !


17.06.2024●2.45प०मा०

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