263/2024
सामांत : इयाँ
पदांत :अपदांत
मात्राभार : 14.
मात्रा पतन : शून्य।
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
नीचे बिछा दो बोरियाँ।
माँ गा रही है लोरियाँ।।
तप पालना संतति महा ।
सब जानती हैं गोरियाँ।।
संतान का दायित्व है।
बोले न दारुण बोलियाँ।।
संतान के हित ही जिएँ।
करतीं न जननी चोरियाँ।।
खाली न होतीं एक पल।
जननी-जनक की झोलियाँ।।
अनुकरण से ही सीखतीं।
माँ की लड़ैती पुत्रियाँ।।
आओ 'शुभम्' नर हम बनें।
संतान की शुचि ओलियाँ।।
शुभमस्तु !
10.06.2024● 4.15आ० मा०
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