बुधवार, 12 जून 2024

माँ गा रही है लोरियाँ [सजल]

 263/2024

  

सामांत     : इयाँ

पदांत      :अपदांत

मात्राभार  : 14.

मात्रा पतन : शून्य।


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नीचे    बिछा    दो    बोरियाँ।

माँ     गा   रही   है   लोरियाँ।।


तप    पालना   संतति   महा ।

सब    जानती    हैं   गोरियाँ।।


संतान    का    दायित्व     है।

बोले   न   दारुण    बोलियाँ।।


संतान   के   हित   ही   जिएँ।

करतीं    न   जननी   चोरियाँ।।


खाली   न   होतीं   एक  पल।

जननी-जनक  की  झोलियाँ।।


अनुकरण   से    ही   सीखतीं।

माँ     की      लड़ैती   पुत्रियाँ।।


आओ  'शुभम्' नर   हम    बनें।

संतान     की   शुचि  ओलियाँ।।


शुभमस्तु !


10.06.2024● 4.15आ० मा०

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