बुधवार, 19 जून 2024

गंगा माँ को प्रणत प्रणाम [ गीत ]

 274/2024

    

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


पाप ताप 

नाशिनी तरंगिणि

गङ्गा माँ को प्रणत प्रणाम।


आया पर्व

दशहरा गङ्गा

लहर- लहर लहराए कलकल।

गंगोत्री से

निसृत अमृत

बहता जाए भू पर छलछल।।


सुरसरि देवनदी

ध्रुवनन्दा

नदीश्वरी मंदाकिनि नाम।


नर -नारी

आबाल वृद्ध जन

नहा रहे  हर-हर गंगे।

साड़ी धरे 

नहातीं नारी

बालक कूद-कूद  नंगे।।


भागीरथी 

त्रिपथगा सुरधुनि

पल को लेती नहीं विराम।


धन्य -धन्य 

हम भारतवासी

धन्य भगीरथ जो लाए।

धरती पर

उतार सुरपुर से

पयस्विनी ने स्वर गाए।।


'शुभम्' पापहर

रूपधारिणी

बना धरा पर गङ्गाधाम।


शुभमस्तु !


18.06.2024●4.30 आ०मा०

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