280/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सब कहते हैं मुझको घण्टा।
पिट-पिटकर क्या मिलता घण्टा??
जो भी मंदिर में घुस आता,
सबसे पहले पिटता घण्टा।
बहरे हैं क्या देव - देवियाँ,
जो कहते हैं पीटो घण्टा।
जब तक भाव न बजते मन के,
वृथा पीटना जन का घण्टा।
गर्माता मैं पिट - पिट कर ही,
सुनते लोग न मन का घण्टा।
मेरे जीभ - गाल टकराएँ,
स्वर में एक बजे तब घण्टा।
'शुभम्' दया हो इस घण्टे पर,
निर्मम हो मत पीटो घण्टा।
शुभमस्तु !
20.06.2024●11.30आ०मा०
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[12:08 pm, 20/6/2024] DR BHAGWAT SWAROOP: 281/2024
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