बुधवार, 12 जून 2024

चार जून आ गई ! [बालगीत ]

 257/2024

             

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'



चार   जून  आ  गई।

गाँव  नगर  छा  गई।।


ऊँट किधर  सो रहा।

करवटों  में खो रहा।।

अजब गजब ढा गई।

चार   जून   आ  गई।


जाने  कब उठे   यह।

बोझ पीठ पर दुसह।।

शांति  सुख  खा गई।

चार   जून   आ गई।।


कैसा  ये    खुमार   है।

लगे    गया   हार   है।।

मंजिलों को   पा  गई।

चार   जून   आ   गई।।


कितने  डग  पार   है?

जनमत     दुलार   है।।

आम  जन  लुभा गई।

चार  जून   आ    गई।।


नींद   नहीं    रात  को।

समझें कब  बात को।।

खाज -  सी खुजा गई।

चार  जून  आ     गई।।


लगता  नहीं   घाम  है।

जपें    राम  -  राम  है।।

अटकलें    नई -  नई ।।

चार  जून    आ   गई।।


ऊँट     जागने    लगा।

करवटें   लेने    जगा।।

खुशी  नई     छा  गई।

चार  जून    आ    गई।।


'शुभम्' मोबाइल  खोल।

बज   रहे    देख   ढोल।।

बढ़    रही     है    दंगई।

चार  जून     आ   गई।।


शुभमस्तु !


03.06.2024●3.00प०मा०

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